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भगवान एक है! / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

मन्दिर, मस्जिद और गुरूद्वारे।
भक्तों को लगते हैं प्यारे।।

हिन्दू मन्दिर में हैं जाते।
देवताओं को शीश नवाते।।

ईसाई गिरजाघर जाते।
दीन-दलित को गले लगाते।।

जहाँ इमाम नमाज पढ़ाता।
मस्जिद उसे पुकारा जाता।।

सिक्खों को प्यारे गुरूद्वारे।
मत्था वहाँ टिकाते सारे।।

राहें सबकी अलग-अलग हैं।
पर सबके अरमान नेक है।

नाम अलग हैं, पन्थ भिन्न हैं।
पर जग में भगवान एक है।।