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भड़कना हर बात पर अच्छा नहीं / मृदुला झा

ये सितम जज्बात पर अच्छा नहीं।

क्यों उड़ाते खिल्लियाँ औरों की वो,
ऐंठना औकात पर अच्छा नहीं।

खुदकुशी मत कर गमों से हारकार,
टूटना इक बात पर अच्छा नहीं।

इक मुहब्बत के लिए इतनी तड़प,
आज के हालात पर अच्छा नहीं।

मुझको है तेरी जरूरत हर घड़ी,
रूठना बेबात पर अच्छा नहीं।