Last modified on 22 जून 2016, at 04:09

भादोॅ के रात / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:09, 22 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अचल भारती |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRachna}} <poem> आ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आबी गेलै भादोॅ के रतिया हे सखि जुलमी अंधिरिया
छर-छर चुऐ छै ओसरा के आरियानी
ठेहनोॅ भर भरलोॅ छै ऐंगना में पानी
के सुनतै दुखिया के बतिया हे सखी जुलमी अंधिरिया
पापी पपिहरा के बोलिया जराय छै
मेघवा के गड़-गड़ सें जियरा डराय छै
धड़-धड़-धड़ धड़कै छै छतिया हे सखि जुलमी अंधिरिया
बलंमू बेदरदी जे भेलै परदेसिया
भरलोॅ जवानी सखि भै गेल मटिया
मस-मस-मस मसकै छै अंगिया हे सखि जुलमी अंधिरिया ।