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भादोॅ के रात / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'
Kavita Kosh से
आबी गेलै भादोॅ के रतिया हे सखि जुलमी अंधिरिया
छर-छर चुऐ छै ओसरा के आरियानी
ठेहनोॅ भर भरलोॅ छै ऐंगना में पानी
के सुनतै दुखिया के बतिया हे सखी जुलमी अंधिरिया
पापी पपिहरा के बोलिया जराय छै
मेघवा के गड़-गड़ सें जियरा डराय छै
धड़-धड़-धड़ धड़कै छै छतिया हे सखि जुलमी अंधिरिया
बलंमू बेदरदी जे भेलै परदेसिया
भरलोॅ जवानी सखि भै गेल मटिया
मस-मस-मस मसकै छै अंगिया हे सखि जुलमी अंधिरिया ।