भानु घर उत्सव आज महान।
परमानंद-आनँद-दायिनी प्रगट भई सुख-खान॥
रूप अनूप, स्वरूप अलौकिक, आनँद-सुधा-समुद्र।
मिट्यौ मोह-तम, दुरित दह्यौ, देखतहीं दुख-दारिद्र॥
उमग्यौ प्रेम-समुद्र सुद्ध मधु, नस्यौ स्वार्थ कौ बीज।
उखर्यौ बिबिध अनर्थ-मूल, माया कौ बिटप सबीज॥
हरषित इत-उत धावत, गावत-नाचत सब पुर-लोग।
प्रगटीं धन्य करन जग कौं श्रीराधा सुभ-संजोग॥