परमपरा गुरु सामके, गुरु गुरु-सुत गोविन्द।
श्री बृजेन्द्र, नागर, लला, चच्चन, दीन, मुकुन्द॥
चच्चन, दीन, मुकुन्द राज कवि अंकुर व्यासा।
श्री भगवान, दयाल, शेष, बरसाने आसा॥
भये जो हैं, ओर होंयगे, सब कवियन सिर नाय।
कविता मैं अब करत हों, मो पर होउ सहाय॥