Last modified on 19 नवम्बर 2011, at 03:07

मरमरी बाजुओं को फैलाकर / मनु भारद्वाज

मरमरी बाजुओं को फैलाकर
मेरे सीने से लग जा शरमाकर

तुझको बदनाम न कर दे दुनिया
मेरी ख़ातिर न इतना सोचा कर

वो मजारें हैं इश्क वालों की
चल मेरे साथ वहाँ सजदा कर

पास आकर तेरे तड़प ही उठा
दिल को लाया था ख़ूब समझकर

उम्र भर बनके रहेगा मेरा
तू न रूठेगा कभी वादा कर

इश्क की आबरू बचा ले 'मनु'
हुस्न को भी न कभी रुसवा कर