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<poem>
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान,
कि दिन सारे होते नहीं एक समान ।समान।
ओ आँखों से देख अपने दाता की लीला,
दया मेरे मालिक की सोई नहीं।
जो महलों से गलियों में लाकर रुलाए,
जो पल भर में तोड़ेगा दौलत का मान।।मान।
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान...
वो अल्लाह-- ईश्वर, ख़ुदा जिसका नाम!
वो हर रंग में खेले तू उसको पुकार,
देगा वही तुझ को ख़ुशियों का दान।।दान।
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान...
</poem>
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