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माँ-बाप / भोले मुसाफ़िर इतना तो जान
Kavita Kosh से
रचनाकार: ?? |
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान,
कि दिन सारे होते नहीं एक समान।
ओ आँखों से देख अपने दाता की लीला,
जो दुख-सुख से जीवन बनाए रंगीला।
ना समझो ग़रीबों का कोई नहीं,
दया मेरे मालिक की सोई नहीं।
जो महलों से गलियों में लाकर रुलाए,
जो पल भर में तोड़ेगा दौलत का मान।
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान...
वो कहते हैं जिसको रहीम और राम,
वो अल्लाह-- ईश्वर, ख़ुदा जिसका नाम!
वो हर रंग में खेले तू उसको पुकार,
देगा वही तुझ को ख़ुशियों का दान।
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान...