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मुझे पढ़ना है / सपना मांगलिक

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पढ़ना है आगे बढ़ना है, जिद कर रही माँ से मुनिया
बेलन थमा गुस्से से माँ बोली, चकला -चूल्हा, बेलन ही है
सुन ले मुनिया अब तेरी दुनिया
क्या करना है पढ़ लिखकर, तू कौन सा नाम कमाएगी?
घर के काम सीखकर ही तू, ससुराल में दिल जीत पाएगी
इनसे अलग एक और है दुनिया, माँ को समझाते बोली मुनिया
पढ़ाई के हैं फायदे अनेक, आ माँ तुझको समझाए मुनिया
ना बसूलेगा ऊना-दूना सूद महाजन, कम तोलेगा ना चालू बनिया
देंगे ना कम मजदूरी जमींदारजी, ना ज्यादा काम कराएँगे
हम तुम रहेंगे फिर ठाठ -बाट से माँ, सब सुख अपने हो जायेंगे
घबरायी सी माँ बोली ओ मुनिया, ना देख तू सपने ऊँचे-ऊँचे
यह सब अपने लिए नहीं हैं बच्चे, गन्दी बहुत है बाहर की दुनिया
बड़े -बड़े राक्षस घात लगाए बैठे, दबोच लेंगे पंजे में तुझको गुनिया
मर्द का नाम जरूरी कहते जग में, सम्मान पाएगी बनके दुल्हनिया
कौन ज़माने में रहती है माँ तू?,झुंझलाकर अब बोली मुनिया
पहुँच चुकी औरत अन्तरिक्ष में, संभाल रही बागडोर देश की
चला रही है रेल और जहाज, नाज कर रही उसपर दुनिया
फिर क्या खुदको ना संभाल सकेगी मुनिया?
मत रोक मुझे तू पढ़ जाने दे, अशिक्षा के भंवर से बाहर आने दे
देख चमत्कार शिक्षा का माँ तू, एक दिन बोलेगी तू ही गर्व से
सुनो देश के पुरुषो सुन लो, यह है मेरी बेटी मुनिया