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मैं अपने इख़्तियार में हूँ भी नहीं भी हूँ / निदा फ़ाज़ली

मैं अपने इख़्तियार में हूँ भी नहीं भी हूँ
दुनिया के कारोबार में हूँ भी नहीं भी हूँ.

तेरी ही जुस्तुजू में लगा है कभी कभी
मैं तेरे इंतिज़ार में हूँ भी नहीं भी हूँ.

फ़हरिस्त मरने वालों की क़ातिल के पास है
मैं अपने ही मज़ार में हूँ भी नहीं भी हूँ.

औरों के साथ ऐसा कोई मसअला नहीं
इक मैं ही इस दयार में हूँ भी नहीं भी हूँ.

मुझ से ही है हर एक सियासत का ऐतबार
फिर भी किसी शुमार में हूँ भी नहीं भी हूँ.