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मैं चाहता भी / वसीम बरेलवी का नाम बदलकर मैं चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले / वसीम बरेलवी कर दिया गया
[[Category:गज़ल]]
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मैं चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले
उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले
उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले।   किताब—ए—माज़ी किताब-ए-माज़ी<ref>अतीत की पुस्तक</ref> के औराक़ <ref>पन्ने </ref> उलट के देख ज़रा न जाने कौन—सा कौन-सा सफ़्हा <ref>पन्ना</ref> मुड़ा हुआ निकले।  निकले
जो देखने में बहुत ही क़रीब लगता है
 उसी के बारे में सोचो तो फ़ासिला निकले।निकले</poem>{{KKMeaning}}