Last modified on 15 फ़रवरी 2017, at 17:35

मैं ढाबे का छोटू हूँ / रमेश तैलंग

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:35, 15 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |अनुवादक= |संग्रह=मेरे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैं ढाबे का छोटू हूँ।
मैं ढाबे का छोटू हूँ।

रोज सुबह उठ जाता हूँ।
ड्यूटी पर लग जाता हूँ।
सबका हुकम बजाता हूँ।
मैं ढाबे का छोटू हूँ।

दिनभर खटकर मरता हूँ।
मेहनत पूरी करता हूँ।
पर मालिक से डरता हूँ।
मैं ढाबे का छोटू हूँ।

देर रात में सोता हूँ।
कप और प्याली धोता हूँ।
रोते-रोते हँसता हूँ।
हँसते-हँसते रोता हूँ।
मैं ढाबे का छोटू हूँ।