Last modified on 1 सितम्बर 2012, at 15:32

यूं तो मंजि़ल को जान लेते हैं / अश्वनी शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:32, 1 सितम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अश्वनी शर्मा |संग्रह=वक़्त से कुछ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


यूं तो मंज़िल को जान लेते हैं
रास्ते इम्तिहान लेते हैं।

सोच अपनी हुई परिंदों सी
जैसे चाहे उड़ान लेते हैं।

जो भी देखा है, वो ही कहते हैं
फिर भी हल्फन बयान लेते हैं।

वो ही बाहक जवान होते हैं
कर गुजरते जो ठान लेते हैं।

ज़िन्दगी का गणित वही समझे
जो कभी दिन की मान लेते हैं।

लोग झोली भी भर नहीं पाते
लेने वाले जहान लेते हैं।

वो जो आला गुनाह करते हैं
रहनुमा बन कमान लेते हैं।