Last modified on 26 अप्रैल 2013, at 13:20

ये मेरी बज़्म नहीं है लेकिन / आसिफ़ 'रज़ा'

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:20, 26 अप्रैल 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आसिफ़ 'रज़ा' }} {{KKCatGhazal}} <poem> ये मेरी बज़...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ये मेरी बज़्म नहीं है लेकिन
दिल लगा है तो लगा रहने दो

जाने वालों की तरफ़ मत देखो
रंग-ए-महफ़िल को जमा रहने दो

एक मेला सा मेरे दिल के क़रीब
आरज़ूओं का लगा रहने दो

उन पे फाया न रक्खो मरहम का
मेरे ज़ख़्मों को हरा रहने दो

दोस्ताना है शिकस्ता जिस से
उस को सीने से लगा रहने दो

होश में है तो ज़माना सारा
मुझ को दीवाना बना रहने दो

जब चलो राह-ए-हक़ीक़त पे कोई
ख़्वाब आँखों में बसा रहने दो

दिल के पानी में उतारो महताब
इस प्याले को भरा रहने दो