(राग भैरवी-ताल त्रिताल)
रक्त वर्ण, रक्तबर राजत, रय कण्ठ मुक्त-मणि हार।
अङङ्कुश-पाश-बाण-धनु शोभित चारु भुजा भूषणयुत चार॥
हेम मुकुट रत्नावलि मण्डित, तिलक भाल मारण मद मार।
कुञ्ण्डल कर्ण, कमल-दल-लोचन ललिताबा जय जय सुखसार॥
(राग भैरवी-ताल त्रिताल)
रक्त वर्ण, रक्तबर राजत, रय कण्ठ मुक्त-मणि हार।
अङङ्कुश-पाश-बाण-धनु शोभित चारु भुजा भूषणयुत चार॥
हेम मुकुट रत्नावलि मण्डित, तिलक भाल मारण मद मार।
कुञ्ण्डल कर्ण, कमल-दल-लोचन ललिताबा जय जय सुखसार॥