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राम लखन दोऊ भैया ही भैया / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

राम लखन दोऊ भैया ही भैया,
साधू बने चले जायं मोरे लाल।।
चलत-चलत साधू बागन पहुंचे।
मालिन ने लए बिलमाए मोरे लाल। राम लखन...
घड़ी एक छाया में बिलमायो साधू।
गजरा गुआएं चले जाओ मोरे लाल। राम लखन...
जब वे साधू तालन पहुंचे
धोबिन ने लए बिलमाए मोरे लाल। राम लखन...
चलत-चलत साधू महलन पहुंचे।
रानी ने लए बिलमाए मोरे लाल।
घड़ी एक छाया में बिलमायो साधू।
महलन के शोभा बढ़ाओ मोरे लाल। राम लखन...