Last modified on 23 जुलाई 2021, at 09:56

लोग मिले / रेखा राजवंशी

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:56, 23 जुलाई 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा राजवंशी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अश्कों की बरसातें लेकर लोग मिले
ग़म में भीगी रातें लेकर लोग मिले

पूरी एक कहानी कैसे बन पाती
क़तरा-क़तरा बातें लेकर लोग मिले

भर पाते नासूर दिलों कैसे जब
ज़हर बुझी सौगातें लेकर लोग मिले

अब गैरों से क्या शिकवा करने जाएँ
अपनों को ही मातें देकर लोग चले

आशिक के टूटा दिल कोई क्यों देखे
जब अपनी बारातें लेकर लोग चले