Last modified on 14 नवम्बर 2014, at 19:51

वह गीत सुनाना है! / राधेश्याम ‘प्रवासी’

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:51, 14 नवम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राधेश्याम ‘प्रवासी’ |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जिसके स्वर, अम्बर पर
युग-युग तक गूँजते रहें,
यह गीत सुनाना है!

जिसकी लय, बने मलय
प्यार भरा वह मानवता का,
स्रोत बहाना है।

जन-जन में, तन-तन में
देश प्रेम, सोये अतीत का,
शौर्य जगाना है।

हृदय मिले, कमल खिलें,
पाहन उर कर द्रवित उठें,
यह दर्द उठाना है!

उन्मन मन, यह जीवन
जहाँ शान्ति पा जाय,
यही निर्माण बनाना है!