Last modified on 27 मई 2014, at 10:59

विराट भगवान की आरती / आरती

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:59, 27 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |संग्रह=आरतियाँ }} <poem> जय जय श्री बद...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जय जय श्री बदरीनाथ, जयति योग ध्यानी।
निर्गुण सगुण स्वरूप, मेघवर्ण अति अनूप,
सेवत चरण सुरभूप, ज्ञानी विज्ञानी। जय जय
झलकत है शीश छत्र, छवि अनूप अति विचित्र,
वरनत पावन चरित्र सकुचत बरबानी। जय जय ..
तिलक भाल अति विशाल, गले में मणिमुक्त माल,
प्रनतपाल अति दयाल, सेवक सुखदानी। जय जय ..
कानन कुडण्ल ललाम, मूरति सुखमा की धाम,
सुमिरत हो सिद्धि काम, कहत गुण बखानी। जय जय ..
गावत गुण शम्भु, शेष, इन्द्र, चन्द्र अरु दिनेश,
विनवत श्यामा जोरि जुगल पानी। जय जय ..