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09:28, 27 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
गंगा तो आवै
जे हुवै भागीरथ
इण धरा पे
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हर सीपी रै
भाग में नईं हुवै
मोती जणना
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बजारां मांय
दौड़ै सोनमिरगा
सीता थूं चेत
</poem>
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