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|रचनाकार=राज़िक़ अंसारी
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<poem>वफ़ा और प्यार के ज़ज्बात वाले
बहुत अच्छे थे हम देहात वाले

ज़रुरत हाथ फैलाए खड़ी है
कहाँ हैं सब हमारे साथ वाले

हमारी एकता को मार देंगे
किसी दिन ये सियासी हाथ वाले

सितारे चाँद जुगनू दर्द आँसू
ये मेरे हम सफ़र हैं रात वाले

हमें भी आज़मा कर देख लेना
अभी मौजूद हैं कुछ बात वाले
</poem>