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"विहान की मोटरगाड़ी / अनुभूति गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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एक था तोता, मिटठू राजा,
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मम्मी पापा लेकर आये,
बजा रहा है मुख से बाजा।
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रंग-बिरंगी मोटरगाड़ी।
पिंजरे में है प्यारा झूला,
+
छोटे-छोटे पहियों वाली
खुशियों से है कितना फूला।
+
कितनी प्यारी मोटरगाड़ी।
टाँय टू, टाँय टू, गाना गाता,
+
खुश होता विहान है कितना,
उसका सुर है बहुत सुहाता।
+
पाकर अपनी मोटरगाड़ी।
घर वालों का बहुत चहेता,
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पहिये उसके खूब घुमाता,
राम-राम  ये सबको कहता।
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गाड़ी आँगन में टहलाता।
खुल गया जब दरवाजा,
+
लाल रंग की है विहान की,
मिटठू राजा बाहर आया,
+
प्यारी-प्यारी मोटरगाड़ी।
आसमान की ओर निहारा,
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फिर निज पंखो को फैलाया।
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उसको नीला नभ था भाया।।
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इतने में आया इक बच्चा,
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मन का था जो सीधा-सच्चा।
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उसने मिट्ठू को ललचाया,
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तोता भी लालच में आया
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पिंजड़े में फिर बन्द कर दिया।
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अब तोता मन में पछताया।।
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18:44, 2 मई 2017 के समय का अवतरण

मम्मी पापा लेकर आये,
रंग-बिरंगी मोटरगाड़ी।
छोटे-छोटे पहियों वाली
कितनी प्यारी मोटरगाड़ी।
खुश होता विहान है कितना,
पाकर अपनी मोटरगाड़ी।
पहिये उसके खूब घुमाता,
गाड़ी आँगन में टहलाता।
लाल रंग की है विहान की,
प्यारी-प्यारी मोटरगाड़ी।