भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
विहान की मोटरगाड़ी / अनुभूति गुप्ता
Kavita Kosh से
मम्मी पापा लेकर आये,
रंग-बिरंगी मोटरगाड़ी।
छोटे-छोटे पहियों वाली
कितनी प्यारी मोटरगाड़ी।
खुश होता विहान है कितना,
पाकर अपनी मोटरगाड़ी।
पहिये उसके खूब घुमाता,
गाड़ी आँगन में टहलाता।
लाल रंग की है विहान की,
प्यारी-प्यारी मोटरगाड़ी।