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वे यह तो कहते हैं / विनोद शर्मा

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वे यह तो कहते हैं
कि जीने के लिए जरूरी है व्यवहारकुशल होना
मगर यह नहीं बताते
कि वो कौन-सी सीमा रेखा है
जिसे लांघते ही व्यवहारकुशलता
नैतिक पतन में बदल जाती है?

ये यह तो कहते हैं कि
जीने का आनन्द लूटने के लिए
जरूरी है सफल होना
मगर यह नहीं बताते कि क्या है
उनकी सफलता की परिभाषा या व्याख्या?
और अगर वह जीवन-मूल्यों को रौंदकर मिले
तो उसे हासिल करना चाहिए या नहीं?

वे यह तो कहते हैं कि
सफलता में चार चांद लगाने
और दुनिया की नजरों में ऊपर उठने के लिए
जरूरी है पुरस्कार जीतना
मगर यह नहीं बताते कि पुरस्कारों की भी
अपनी राजनीति होती है
और उसमें शामिल होने के लिए
जिन हथकंडों को अपनाना पड़ता है
उन्हें अपनाकर आदमी को
अगर अपनी ही नजर में गिरना पड़े
तो वह क्या करे?

वे जानते बहुत कुछ हैं
मगर बताते उतना ही हैं
जितना बतानावे जरूरी समझते हैं।