Last modified on 23 जनवरी 2015, at 22:14

शबरी के खट्टे मीठे बेर बेर बड़े मीठे लगे / बुन्देली

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:14, 23 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=बुन्देल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

शबरी के खट्टे मीठे बेर, बेर बड़े मीठे लगे।
एक दिन शबरी जंगल गई थी, जंगल गई थी।
ले आई खट्टे मीठे बेर, बड़े मीठे लगे।
एक मुट्ठी बेर शबरी रामजी को दीन्हीं
रामजी ने खाय लिये बेर, बेर बड़े मीठे लगे।
एक मुट्ठी बेर शबरी लखन जी को दीन्हीं।
फेंक दिये उनके बेर, बेर बड़े खट्टे लगे।
वही बेर बनें थे, पर्वत पे बूटी।
आये लखन के काम बेर...