Last modified on 28 अगस्त 2013, at 09:49

शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब / गोपालदास "नीरज"

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:49, 28 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोपालदास "नीरज" }} {{KKCatGeet}} {{KKCatFilmiGeet}} <poem> श...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब
होगा यूँ नशा जो तैयार
हाँ...
होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है

शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब,
होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब

हँसता हुआ बचपन वो, बहका हुआ मौसम है
छेड़ो तो इक शोला है, छूलो तो बस शबनम है
हँसता हुआ बचपन वो, बहका हुआ मौसम है
छेड़ो तो इक शोला है, छूलो तो बस शबनम है
गाओं में, मेले में, राह में, अकेले में
आता जो याद बार बार वो, प्यार है
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब
अरे, होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब


रंग में पिघले सोना, अंग से यूँ रस झलके
जैसे बजे धुन कोई, रात में हलके हलके
रंग में पिघले सोना, अंग से यूँ रस झलके
जैसे बजे धुन कोई, रात में हल्के हल्के
धूप में, छाओं में, झूमती हवाओं में
हर दम करे जो इन्तज़ार वो, प्यार है
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब
ओ... होगा यूँ नशा जो तैयार
वो प्यार है

याद अगर वो आये
याद अगर वो आये, कैसे कटे तनहाई
सूने शहर में जैसे, बजने लगे शहनाई
याद अगर वो आये, कैसे कटे तनहाई
सूने शहर में जैसे, बजने लगे शहनाई
आना हो, जाना हो, कैसा भी ज़माना हो
उतरे कभी ना जो खुमार वो, प्यार है

शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब
अरे, होगा यूँ नशा जो तैयार
वो प्यार है