श्यामल शिखी गल सुरंग अंग चारु छवि तड़ित विनिन्दक सुभाय सुदुकूल है।
रक्तनवल अमल कमलदल लोचन चारु शरद विमल विधुवदन अतूल है।
सकल सुमंगल सँवारे प्रति अंग अंग पेखि ये अनूा रूप मार मदभूल है।
यावक सुरंग मकरन्द रक्त रंजित पद-कंज मुनिमधुप समाज सुखमूल है।
शिवपूजन सहाय कृत
(”शिवपूजन“ ”एक क्षुद्ररामभक्त द्वारा रचित कविता“)