Last modified on 29 अप्रैल 2015, at 13:28

सगाई गीत / पँवारी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:28, 29 अप्रैल 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=पँवारी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

1.
भूरी-भूरी मुच्छी को डोकरा, हाट रे हाट बिकाय
सुनो सजन हमरी पहलोड़ी
हमरी पैलोड़ी को अरथ बताव
सुनो सजन हमरी पेलौड़ी

2.
अरू जीत लीना हौसी न जीत लीनी
तोखअ् डुक्कर दी रे इनाम
सुनो-सजन हमरी पहलौड़ी

3.
जेवत देहि मधुर धुनि गारी। ले ले नाम पुरुष अरू नारी।।
समय सुहावनि गारि बिराजा। हंसत राऊ सुनि सहित समाजा।।

4.
आरू नी जीती गण्डिया नऽ नी जीती
आरू ना जीती मूरख गँवार
सुनो सजन हमरी पैलोड़ी

5.
तुम कहाँ से आया बे साले उल्टी डण्डी वाले
तुम मालवा से आया बे साले उल्टी डण्डी वाले
तुम छुपते छिपाते आया बे साले उल्टी डण्डी वाले
कुछ आली से कुछ माली से पाँच रुपया दलाली के
रुपया धोती में छुपया बे साले उल्टी डण्डी वाले

6.
तू चल्यो समधी तू चल्यो रे
तू तो नाचत चल्यो
हात मऽ दोना ले चल्यो रे
तू तो पातर चाटत चल्यो।

7.
पाठा पऽ जनी भूरी भईस
ओको दूध अकारत जाय
जानो सजन हमरी पैलोड़ी

8.
जीत ली सजन न जीत ली रे
घर मअ् हय चतुर सी नार
ओनअ् दी पहेली बताय।।