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सच है गाते-गाते हम भी / प्रमोद तिवारी

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सच है गाते-गाते हम भी
थोड़ा सा मशहूर हुए
लेकिन इसके पहले
पल-पल
तिल-तिल
चकनाचूर हुए

कौशल के पहाड़ पर
शब्दों की मीनार
नहीं हैं हम
नख से शिख तक
किसी नायिका का
शृंगार
नहीं हैं हम
सीधी साधी बातों का
सीधा सा
सार नहीं हैं हम
भाव व्यक्त कर सकें नहीं
इतने लाचार
नहीं हैं हम
एक दिवस गीतों को देखा
आँसू की पूजा करते
हम भी पूजा की थाली के
अक्षत, फूल, कपूर हुए
जलते हुए चरागों के
हम
वादी भी
प्रतिवादी भी
घोर अंधेरों के
हम खुद ही
मुंसिफ भी
फरियादी भी
गलत दिशाओं को
चुनने के
आदी भी
अपराधी भी
और कभी दुर्गम मंजिल की
शोभा भी
बरबादी भी
इतनी राहें भटकीं हमने
भटकी हैं इतनी राहें
अब हमसे सारी राहें हैं
हम राहे मंसूर हुए
आँसू से संभव हैं जितने
सारे के सारे सुख हैं
इसीलिए दुनिया भर को
हमसे अपने-अपने दुख हैं
लेकिन फ़र्क नहीं कुछ भी
सबके अपने-अपने मुख हैं
दरपन यदि सम्मुख है
तो सबके
अपने-अपने रुख हैं
हम भी अपने रुख से
बांसों के जंगल से गुज़रे हैं
कभी किसी ने
कहा बांसुरी
कभी कहा
संतूर हुए