Last modified on 6 दिसम्बर 2012, at 09:39

समानता / अभिमन्यु अनत

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:39, 6 दिसम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अभिमन्यु अनत |संग्रह=गुलमोहर खौल ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मों-स्वाज़ी के समंदर से
चार कदम आगे
देख आया मैं
चुनाव के दौरान
दिए गए वायदे पूरे होते
गरीब धनी के भेद को मिटते
गरीब तो नहीं मिला वहाँ

पर धनी सैलानियों को बालू पर पसरे
धूप में नंगे देख आया
अपने ही गाँव के
जमनी चाची के बच्चों जैसे
जमनी चाची के बच्चे पर अब
नंगे नहीं रहते
सैलानियों की मेहबानी को वे
अब दिन-रात पहने होते हैं ।