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सरग भवन्ति हो गिरधरनी एक सन्देशो लई जाव / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सरग भवन्ति हो गिरधरनी, एक सन्देशो लई जाव।।
सरग का अमुक दाजी खऽ यो कयजो,
तुम घर अमुक को ब्याव।।
जेम सरऽ ओमऽ सारजो हो, हमारो तो आवणोनी होय।।
जड़ी दिया बज्र किवाड़, अग्गळ जड़ी जड़ी लुहा की जी।।