Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
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− | |रचनाकार=अहमद नदीम | + | |रचनाकार=अहमद नदीम क़ासमी |
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साँस लेना भी सज़ा लगता है | साँस लेना भी सज़ा लगता है | ||
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अब तो मरना भी रवा लगता है | अब तो मरना भी रवा लगता है | ||
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कोहे-ग़म पर से जो देखूँ,तो मुझे | कोहे-ग़म पर से जो देखूँ,तो मुझे | ||
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दश्त, आगोशे-फ़ना लगता है | दश्त, आगोशे-फ़ना लगता है | ||
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सरे-बाज़ार है यारों की तलाश | सरे-बाज़ार है यारों की तलाश | ||
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जो गुज़रता है ख़फ़ा लगता है | जो गुज़रता है ख़फ़ा लगता है | ||
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मौसमे-गुल में सरे-शाखे़-गुलाब | मौसमे-गुल में सरे-शाखे़-गुलाब | ||
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शोला भड़के तो वजा लगता है | शोला भड़के तो वजा लगता है | ||
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मुस्कराता है जो उस आलम में | मुस्कराता है जो उस आलम में | ||
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ब-ख़ुदा मुझ को ख़ुदा लगता है | ब-ख़ुदा मुझ को ख़ुदा लगता है | ||
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इतना मानूस हूँ सन्नाटे से | इतना मानूस हूँ सन्नाटे से | ||
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कोई बोले तो बुरा लगता है | कोई बोले तो बुरा लगता है | ||
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उनसे मिलकर भी न काफूर हुआ | उनसे मिलकर भी न काफूर हुआ | ||
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दर्द ये सबसे जुदा लगता है | दर्द ये सबसे जुदा लगता है | ||
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इस क़दर तुंद है रफ़्तारे-हयात | इस क़दर तुंद है रफ़्तारे-हयात | ||
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वक़्त भी रिश्ता बपा लगता है | वक़्त भी रिश्ता बपा लगता है | ||
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रवा=ठीक; कोहे-ग़म=ग़म के पहाड़; दश्त=जंगल; आगोशे-फ़ना=मौत का आगोश; मौसमे-गुल=बहार का मौसम; | रवा=ठीक; कोहे-ग़म=ग़म के पहाड़; दश्त=जंगल; आगोशे-फ़ना=मौत का आगोश; मौसमे-गुल=बहार का मौसम; | ||
सरे-शाख़े-गुलाब= गुलाब की डाली पर; ब-ख़ुदा= ख़ुदा के लिए; काफूर=गायब होना; तुंद=प्रचण्ड; | सरे-शाख़े-गुलाब= गुलाब की डाली पर; ब-ख़ुदा= ख़ुदा के लिए; काफूर=गायब होना; तुंद=प्रचण्ड; | ||
रफ़्तारे-हयात=जीवन की गति; बपा= पर बंधा पंछी जो उड़ न पाए । | रफ़्तारे-हयात=जीवन की गति; बपा= पर बंधा पंछी जो उड़ न पाए । | ||
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19:43, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
साँस लेना भी सज़ा लगता है
अब तो मरना भी रवा लगता है
कोहे-ग़म पर से जो देखूँ,तो मुझे
दश्त, आगोशे-फ़ना लगता है
सरे-बाज़ार है यारों की तलाश
जो गुज़रता है ख़फ़ा लगता है
मौसमे-गुल में सरे-शाखे़-गुलाब
शोला भड़के तो वजा लगता है
मुस्कराता है जो उस आलम में
ब-ख़ुदा मुझ को ख़ुदा लगता है
इतना मानूस हूँ सन्नाटे से
कोई बोले तो बुरा लगता है
उनसे मिलकर भी न काफूर हुआ
दर्द ये सबसे जुदा लगता है
इस क़दर तुंद है रफ़्तारे-हयात
वक़्त भी रिश्ता बपा लगता है
रवा=ठीक; कोहे-ग़म=ग़म के पहाड़; दश्त=जंगल; आगोशे-फ़ना=मौत का आगोश; मौसमे-गुल=बहार का मौसम;
सरे-शाख़े-गुलाब= गुलाब की डाली पर; ब-ख़ुदा= ख़ुदा के लिए; काफूर=गायब होना; तुंद=प्रचण्ड;
रफ़्तारे-हयात=जीवन की गति; बपा= पर बंधा पंछी जो उड़ न पाए ।