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{{KKLokRachna|रचनाकार=अज्ञात}}{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=खड़ी बोली}}
'''पनघट पर जाना<br>'''
-सासू पनिया भरन कैसे जाऊँ,रसीले दोऊ नैना ।<br>-बहू ओढ़ो चटक चुनरिया,सर पै राखो गगरिया<br>
बहू मेरी छोटी नणद लो साथ, रसीले दोऊ नैना ।<br>
-मन्नै ओढ़ी चटक चुनरिया,सर ऊपर रखी गगरिया<br>
हेरी मन्नै छोटी नणद ली साथ, रसीले दोऊ नैना ।<br>
-तू बैज्जा पीपल छैंया,मैं भर लाऊँ जल गगरिया<br>
ननदी घर नी जाकर बोल-<br>
भाभी के पनघट पै दोस्त। रसीले दोऊ नैना ।<br>
मेरी ननदल बड़ी हठीली,एक-एक की दो-दो लगावै<br>
बरसात मैं करूँ तेरी सादी<br>
गरमी मैं करूँ तेरा गौणा<br>
भेजकर ना लूँ तेरा नाम , रसीले दोऊ नैना<br>>>>>>>>>>>>>>>