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सासू पनियाँ कैसे जाऊँ (पनघट-गीत) / खड़ी बोली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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पनघट पर जाना
सासू पनिया भरन कैसे जाऊँ, रसीले दोऊ नैना ।
बहू ओढ़ो चटक चुनरिया, सर पै राखो गगरिया
बहू मेरी छोटी नणद लो साथ, रसीले दोऊ नैना ।
मन्नै ओढ़ी चटक चुनरिया, सर ऊपर रखी गगरिया
हेरी मन्नै छोटी नणद ली साथ, रसीले दोऊ नैना ।
तू बैज्जा पीपल छैंया, मैं भर लाऊँ जल गगरिया
ननदी घर नी जाकर बोल-
भाभी के पनघट पै दोस्त। रसीले दोऊ नैना ।
मेरी ननदल बड़ी हठीली, एक-एक की दो-दो लगावै
बरसात मैं करूँ तेरी सादी
गरमी मैं करूँ तेरा गौणा
भेजकर ना लूँ तेरा नाम, रसीले दोऊ नैना