Last modified on 24 फ़रवरी 2014, at 16:57

हमसे खिंचत न गगरिया कमर मोरी छल्ला मुन्दरिया / अवधी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:57, 24 फ़रवरी 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: सिद्धार्थ सिंह

हमसे खिंचत न गगरिया कमर मोरी छल्ला मुन्दरिया

वोहि सासू मोरी जनम की बैरनि,
दुई-दुई भरावें गगरिया, कमर मोरी छल्ला मुन्दरिया

वोहि देवरा मोरे बचपन का साथी
काँधे टेकावै गगरिया मोरी छल्ला मुन्दरिया

अंटा चढ़े उइ सैयां जो देखैं,
कहैं इक-इक उठावो गगरिया, कमर तोरी छल्ला मुन्दरिया

जो सैयां हमें इतना चाहत हो,
भोरै लगावौ कहरिया, कमर मोरी छल्ला मुन्दरिया