मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हरियर पट<ref>हरे वस्त्र</ref> केरा<ref>का</ref> जाजिम झारी बिछावहु हे।
आयल कुल-परिवार, हरदी चढ़ावहु हे॥1॥
हरदी चढ़ावथी<ref>चढ़ाते हैं</ref> दुलरइता दादा, सँघे<ref>साथ में</ref> दुलरइतो दादी हे।
ताहि पाछे<ref>पश्चात</ref> कुल परिवार, से हरदी चढ़ावथी हे॥2॥
शब्दार्थ
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