गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
हवाएँ चैत की / अज्ञेय
8 bytes removed
,
14:16, 10 जुलाई 2013
:कोठरी में लौ बढ़ा कर दीप की
गिन रहा होगा महाजन सेंत की।
'''गुरदासपुर, अमृतसर (बस में), 23 अप्रैल, 1951'''
</poem>
गुरदासपुर, अमृतसर (बस में), 23 अप्रैल, 1951
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,102
edits