Last modified on 28 मार्च 2012, at 08:52

हाइकु.1 / सुभाष नीरव

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:52, 28 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुभाष नीरव |संग्रह=हाइकू 2009 / गोपाल...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

(१)
राह न सूझे
संकट की घड़ी में
रब सूझता।

(२)
दुख अपना
सुख तो लगता है
इक सपना।

(३)
मासूम हँसी
हर ले आदमी की
थकान सभी।

(४)
यादों के पंछी
अतीत के वन में
हैं विचरते।

(५)
प्रेम छुअन
सिहरा गई कैसे
तन औ’ मन।