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हाइकु.1 / सुभाष नीरव
Kavita Kosh से
(१)
राह न सूझे
संकट की घड़ी में
रब सूझता।
(२)
दुख अपना
सुख तो लगता है
इक सपना।
(३)
मासूम हँसी
हर ले आदमी की
थकान सभी।
(४)
यादों के पंछी
अतीत के वन में
हैं विचरते।
(५)
प्रेम छुअन
सिहरा गई कैसे
तन औ’ मन।