Last modified on 21 अगस्त 2013, at 15:58

हे मन रामनाम चित धौबे / भीखा साहब

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:58, 21 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भीखा साहब }} {{KKCatPad}} {{KKCatBhojpuriRachna}} <poem> हे मन ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हे मन रामनाम चित धौबे।।
काहे इतउत धाइ मरत हव अवसिंक भजन राम से धौबे।
गुरु परताप साधु के संगति नाम पदारथ रुचि से खौबे।।
सुरति निरति अंतर लव लावे अनहद नाद गगन घर जौबे।
रमता राम-सकल घर व्यापक नाम अनन्त एक ठहरौबे।।
तहाँ गये जगसों जर टूटत तीनतान गुन औगुन नसौबे।
जन्मस्थान खानपुर बोहना सेवत चरन भिखानन्द चौबे।।