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हैं है अंग -अंग तेरे तेरा सौ गीत , सौ ग़ज़ल।पढ़ता हूँ मुँह अँधेरे कर अँधेरा सौ गीत , सौ ग़ज़ल।
अलफ़ाज़ तेरा लब छू अश’आर बन रहेदेखा है तुझको जबसे मेरे मन के आसपास,लिख दे बदन पे मेरे डाले हुए हैं डेरा सौ गीत , सौ ग़ज़ल।
तुझपे बस एक मिसरा कह दूँ इसीलिएअल्फ़ाज़ तेरा लब छू अश’आर बन रहे,मन सुब्ह-ओ-शाम फेरे कर दे बदन ये मेरा सौ गीत , सौ ग़ज़ल।
जुल्फ़ें नागिन समझ के नागिन ज़ुल्फ़ें लेकर चले गयेगया,सो अब गा रहे सपेरे ,गाता फिरे सपेरा सौ गीत , सौ ग़ज़ल।
देखा है तुझको जब से तब से वो मौलवीआया जो तेरे घर तो सब छोड़छाड़ कर,जपता है नित सवेरे लेकर गया लुटेरा सौ गीत , सौ ग़ज़ल।
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