तोॅ करोॅ झकास इंजोर प्रभु,
अन्तः में अन्हरिया रात बसै।
हम डरोॅ सें काँपै छी थर-थर,
सपना में हमरा साँप डंसै।
हमरोॅ दिमाग भोथरोॅ प्रभु,
भीतर दीया जलाय दोॅ ना।
कब तक डरतें रहबै प्रभु जी,
हमरोॅ किस्मत चमकाय दोॅ ना!
हम बच्चा के बेवकूफ जानी,
उल्लू लोग बाग बनावै छै।
हमरा कमबुधिया जानी केॅ,
उल्टे बातोॅ केॅ बतावै छै।
सद्ज्ञानी हमरा तोॅ बनावोॅ,
कलुष विचार मारी दोॅ प्रभु,
भीतर ज्ञान-ज्योति जलाय के,
जीवन हमरोॅ तारी दोॅ प्रभु।