Last modified on 19 मई 2014, at 20:05

दिल लगा कर लग गया उन को भी तनहा बैठना / ग़ालिब

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:05, 19 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ग़ालिब |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poe...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दिल लगा कर लग गया उन को भी तन्हा बैठना
बारे अपनी बेकसी की हम ने पाई दाद याँ
 
हैं ज़वाल-आमादा अजज़ा आफ़रीनश के तमाम
मेहर-ए-गर्दूं है चराग़-ए-रहगुज़ार-ए-बाद याँ