Last modified on 31 मार्च 2017, at 11:22

157 / हीर / वारिस शाह

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:22, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुसीं घल देहो तां अहसान होवे नहीं चल मेला असीं आवने हां
गल पलड़ा पा के वीर सभे असी रूठड़ा वीर मनावने हां
असां आयां नूं जे तुसी नाह मोड़ो तदों पयेपक पकावने हां
नाल भाइयां पिंड दे पैंच सारे वारस शाह नूं नाल लै जावने हां

शब्दार्थ
<references/>