भोग भोगना दुध ते दहीं पीवन पिंडा पालके रात दिन धोवना एं खरा कठन है फकर दी वाट झागन<ref>फकीरी</ref> मुंहों आखके काहे वगोवना एं वाहें वंझली त्रीमतां नित घूरे गाईं महीं वलायके चोवना एं वारस आख जटा केही बनी तैनूं सुआद छडके खेह<ref>मिट्टी</ref> क्यों होवना एं