Last modified on 3 अप्रैल 2017, at 17:44

298 / हीर / वारिस शाह

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:44, 3 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हमी वडे फकीर सत पीढ़ीए हां रसम जग दा हमी जानने हां
कंद मूल उजाड़ विच खायके ते बनवास लै के मौज मानने हां
नगर विच ना आतमा परचदा ए उदयान<ref>बाग या जंगल</ref> बह के तम्बू तानने हां
वारस तीरथ जोग बैराग होवे रूप तिनां दा हमीं पछानने हां

शब्दार्थ
<references/>