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कोल्हुआड़ / पतझड़ / श्रीउमेश

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हमरै गाछी तर लगलोॅ छै, पन्ना मिलरोॅ के कोल्हुआड़।
पेरै छै दिन-रात केतारी, औटै छै टटिया के आड़॥
आदी या नेमो-पत्ता के साथ रोॅस जे गमकै छै।
पीयैवालां रोॅस पिवी केॅ छम-छम, छम-छम छमकै छै॥
गहगल-रस के रसिया बनतै, रसियौ के छै जलगे स्वाद।
गूड़-केतारी-रसिया के आबै छै मिट्ठोॅ-मिट्ठोॅ याद॥