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मुँह चिढ़ाती वह / नीरजा हेमेन्द्र

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उस चौराहे पर
घूम.घूम कर वह
आने.जाने वाले लोगों से
मांग रही थी भीख
अपनी छोटी हथेलियों को फैला करण्ण्ण्ण्
दयनीय हो कर
मांग रही थी कुछ पैसे
उलझे बालए मैले.कुचैले वस्त्र पहने
वह छोटी.सी बच्चीण्ण्ण्
गोद में अपनी दुधमुँही छोट बहन को
सरलता से उठाये हुए
भिक्षाटन कार्य इस प्रकार कुशलता से
कर रही थी
जैसे वह सक्षम हो गयी हो
जीवन की दुरूहताओं का भार वहन करने हेतु
हृदय द्रवित है उसे देख कर
तत्क्षण किसी भद्र द्वारा दिए गये
शिक्षा परिश्रम इत्यादि के सभ्य उपदेश सुन कर
वाचाल हो उठती है वह
बाल.सुलभ चपलता से मुँह चिढ़ाकर
भाग पड़ती है वह वहाँ से
भीख मांगती वह छोटी सी बच्ची
जैसे मुँह चिढ़ा गयी हो
उस व्यवस्था को जिसे
हम सिस्टम कहते हैं।