रसिक स्याम की जो सदा रसमय जीवनमूरि।
ता पद-पंकज की सतत बंदौं पावन धूरि॥
जयति निकुंजबिहारिनी, हरनि स्याम-संताप।
जिन की तन-छाया तुरत हरत मदन-मन-दाप॥
रसिक स्याम की जो सदा रसमय जीवनमूरि।
ता पद-पंकज की सतत बंदौं पावन धूरि॥
जयति निकुंजबिहारिनी, हरनि स्याम-संताप।
जिन की तन-छाया तुरत हरत मदन-मन-दाप॥